राह दिखाएंगे श्रीरामः राम शलाका प्रश्नावली
जीवन में प्रतिदिन ऐसे पल पाते हैं जब हम निर्णय नहीं कर पाते कि क्या करें, क्या न करें. किसी कार्य को करने से पहले कई बार असमंजस की स्थिति रहती है कि क्या यह कार्य करना चाहिए या नहीं. यह दुविधा हर किसी के साथ दैनिक जीवन में होती है.
इस दुविधा से निकलने का एक सुंदर मार्ग दिखाते हैं गोस्वामी तुलसीदासजी. तुलसीदासजी कहते हैं कि रामचरितमानस की रचना के समय वह प्रायः दुविधा में पड़ जाते थे. दुविधा का जब कोई रास्ता नहीं सूझता था तो वह अपने आराध्य भगवान श्रीराम का स्मरण करते थे और मार्ग दिखाने की प्रार्थना करते थे. प्रभु उन्हें मार्ग दिखा भी देते थे.
तुलसीबाबा कहते हैं, यदि किसी प्रश्न को लेकर अनिर्णय की स्थिति है तो प्रभु से संकेत मांगों. राह दिखाएंगे श्रीराम. प्रभु प्रत्यक्ष रूप से प्रकट होकर ही मार्ग बताएं यह आवश्यक नहीं, वह तो भक्तों को संकेत देते हैं. हमें उनके संकेत समझने चाहिए.
आप कोई काम करना चाह रहे हैं लेकिन तय नहीं कर पा रहे कि क्या किया जाए, किया जाए भी या नहीं किया जाए, तो अपने मन की दुविधा भगवान श्रीराम को सौंप दें. श्रीराम का मन से स्मरण करते हुए उनसे राह सुझाने की प्रार्थना करें.
श्रीराम के संकेतों को समझने का माध्यम है श्रीरामशलाका प्रश्नावली. तुलसी बाबा ने रामचरितमानस में इसे बताया है. यदि आपने रामचरितमानस पढ़ा हो या देखा हो तो आखिर में आपको खाने में बने कुछ अक्षरों की एक पहेली नजर आएगी. वही रामशलाका है.
तुलसीबाबा ने मानस की नौ चौपाइयों के माध्यम से श्रीराम के संकेतों को समझने की विधि बताई है.
कैसे करें प्रयोगः
मन में कोई प्रश्न सोच लें जिसको लेकर दुविधा हो रही है.
फिर आंखें मूंदकर श्रद्धा से श्रीराम का नाम लेते हुए उनसे राह सुझाने की प्रार्थना करें.
फिर अपनी अंगुली शलाका के किसी एक खाने पर रख दें.
उससे एक चौपाई बन जाएगी. उस चौपाई में ही आपके प्रश्न के उत्तर का संकेत मिलता है.
उस संकेत के आधार पर आप निर्णय का विचार कर सकते हैं. रामशलाका को पूरी श्रद्धा के साथ ही प्रयोग करें तभी सही संकेत मिलेंगे.
रामशलाका प्रश्नावली में प्रवेश करने के लिए यहां क्लिक करें.
रामशलाका प्रश्नावली के लिए यहां क्लिक करें.
इस दुविधा से निकलने का एक सुंदर मार्ग दिखाते हैं गोस्वामी तुलसीदासजी. तुलसीदासजी कहते हैं कि रामचरितमानस की रचना के समय वह प्रायः दुविधा में पड़ जाते थे. दुविधा का जब कोई रास्ता नहीं सूझता था तो वह अपने आराध्य भगवान श्रीराम का स्मरण करते थे और मार्ग दिखाने की प्रार्थना करते थे. प्रभु उन्हें मार्ग दिखा भी देते थे.
तुलसीबाबा कहते हैं, यदि किसी प्रश्न को लेकर अनिर्णय की स्थिति है तो प्रभु से संकेत मांगों. राह दिखाएंगे श्रीराम. प्रभु प्रत्यक्ष रूप से प्रकट होकर ही मार्ग बताएं यह आवश्यक नहीं, वह तो भक्तों को संकेत देते हैं. हमें उनके संकेत समझने चाहिए.
आप कोई काम करना चाह रहे हैं लेकिन तय नहीं कर पा रहे कि क्या किया जाए, किया जाए भी या नहीं किया जाए, तो अपने मन की दुविधा भगवान श्रीराम को सौंप दें. श्रीराम का मन से स्मरण करते हुए उनसे राह सुझाने की प्रार्थना करें.
श्रीराम के संकेतों को समझने का माध्यम है श्रीरामशलाका प्रश्नावली. तुलसी बाबा ने रामचरितमानस में इसे बताया है. यदि आपने रामचरितमानस पढ़ा हो या देखा हो तो आखिर में आपको खाने में बने कुछ अक्षरों की एक पहेली नजर आएगी. वही रामशलाका है.
तुलसीबाबा ने मानस की नौ चौपाइयों के माध्यम से श्रीराम के संकेतों को समझने की विधि बताई है.
कैसे करें प्रयोगः
मन में कोई प्रश्न सोच लें जिसको लेकर दुविधा हो रही है.
फिर आंखें मूंदकर श्रद्धा से श्रीराम का नाम लेते हुए उनसे राह सुझाने की प्रार्थना करें.
फिर अपनी अंगुली शलाका के किसी एक खाने पर रख दें.
उससे एक चौपाई बन जाएगी. उस चौपाई में ही आपके प्रश्न के उत्तर का संकेत मिलता है.
उस संकेत के आधार पर आप निर्णय का विचार कर सकते हैं. रामशलाका को पूरी श्रद्धा के साथ ही प्रयोग करें तभी सही संकेत मिलेंगे.
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